मंगलवार, 13 मई 2014

कम्प्यूटर स्ट्रैस सिन्ड्रोम : कारण एवं निवारण


वाहन चलाते समय आपने अनुभव किया होगा कि जब तक गाड़ी बढ़िया चलती है, आपको कोई परेशानी नहीं होती और आप सही तरीके से जिन्दगी के मजे लूटते हैं परन्तु जैसे ही आपकी गाड़ी, चाहे वो स्कूटर हो या कार अथवा कोई और वाहन, कि समस्या की वजह से खराब हो जाए, चाहे वह छोटा सा ही वाहन के पहिए के पंक्चर होने जैसा ही क्यों न हो या वाहन बन्द हो जाए अथवा किसी कारण खड़ा हो जाए तो आप अच्छे- खासे परेशान हो जाते हैं। ठीक इसी प्रकार यदि आप कम्प्यूटरों का प्रयोग करते हैं तो आपने अनुभव किया होगा कि कोई प्रोग्राम चलते-चलते क्रैश हो जाता है, कभी कोई प्रोग्राम हाल्ट हो जाता है, कभी कोई फाइल करप्ट हो जाती है, कल अच्छी-खासी चल रही सी.डी. आज डाटा पढ़कर नहीं देती है। कुल मिलाकर चलते-चलते वाहन में किसी खराबी की वजह से उसमें आई रूकावट की तरह की ही समस्या और वैसी ही परेशानी। इन समस्याओं की वजह से आप परेशान रहने लगते हैं, तनाव में रहने लगते हैं, आपकी दैनदिनी आदतों में चिड़चिड़ापन और रैस्टलेसनेस आ जाता है। यही कम्प्यूटर स्ट्रैस सिन्ड्रोम कहलाता है। एक अध्ययन के मुताबिक कम्प्यूटरों का प्रयोग करने वाले लगभग 40 प्रतिशत लोग जाने-अनजाने और चाहे-अनचाहे कम्प्यूटर स्ट्रैस सिन्ड्रोम से यदा-कदा ग्रस्त हो ही जाते हैं।
कम्प्यूटर स्ट्रैस सिंड्रोम के कारक
* वायरस और मालवेयर, जो आपके कम्प्यूटर और डाटा पर सर्वदा खतरा बने रहते हैं और यदा-कदा आपका महत्वपूर्ण डाटा करप्ट कर देते हैं और जानकारियां चुरा लेते हैं।
* स्पैम, अत्यावश्यक संदेशों के बीच चले आये अवांछित ई-मेल, जिनसे आपका दिमागी पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।
* नये हार्डवेयर, जो पुराने आपरेटिंग सिस्टम और प्रोग्रामों में ठीक से नहीं चलते।
* सॉफ्टवेयर के नये संस्करण, इन्हें या तो फिर से नये सिरे से सीखना होता है या फिर ये पुराने हार्डवेयरों/प्रोग्रामों को चलने-चलाने में समस्याएं उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में एक अति लोकप्रिय व प्रभावी एंटीवायरस औजार का नया संस्करण स्वचालित अपडेट होते ही ‘विंडोज एक्सपी’ को क्रैश कर बन्द कर दे रहा था। नतीजतन सैकड़ों लोगों की रातों की नींद और दिन का चौन ले उड़ा यह प्रोग्राम अपडेट, जिससे कम्प्यूटर प्रयोक्ता अनावश्यक रूप से कम्प्यूटर स्ट्रैस सिन्ड्रोम के शिकार हो गये।
* आब्सलीट, प्रचलन से बाहर तकनीक, कम्प्यूटर टैक्नोलॉजी ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें नित्य, घंटे के लिहाज से परिवर्तन हो रहे हैं और नयी-नयी उम्दा चीजें चली आ रही है। लिहाजा आपको अपने आप को भी अद्यतन बनाये रखना जरूरी है अन्यथा देखते-देखते आप व आपका ज्ञान भी प्रचलन से बाहर हो जायेगा। चार साल पहले एचटीएमएल की पूछ परख होती थी, फिर डीएचटीएमएल आ गया। अब एक्सएमएल का जमाना आ गया है और नया एचटीएमएल 5 पदार्पण कर रहा है। तो इन तकनीकों के प्रति जानकार बने रहने के लिए हर किस्म की कसरत करनी पड़ती है, जो अंततोगत्वा कम्प्यूटर स्ट्रैस सिन्ड्रोम का कारक बनती है।
* सिस्टम की धीमी गति, इससे भी आपको परेशानी हो सकती है। कोई जरूरी ई-मेल किसी ने आपको भेजी है। आप इंतजार कर रहे हैं मगर सर्वर बिजी है। कोई बड़ी फाइल डाउनलोड होने में जरूरत से ज्यादा समय ले रही है और रेस्टलैस हो रहे है, क्यों उसे तो अभी ही बॉस को प्रेजेंट करना है।
* सपोर्ट व सहायता, ये दोनों चीजें भी आपके कम्प्यूटर स्ट्रैस सिन्ड्रोम को बढ़ा सकते हैं। आमतौर पर वैसे तो सपोर्ट व सहायता का मुख्य काम है आपके कम्प्यूटिंग में आ रही समस्याओं का त्वरित और सही निदान करना मगर अक्सर आप पाते हैं कि आपकी समस्या या तो ठीक से समझी नहीं जा रही है या फिर उसका ठीक से निदान नहीं बताया जा रहा है। कभी-कभी आपकी किसी ठोस कम्प्यूटिंग समस्या का कहीं कोई निदान भी नहीं होता। मगर आपको तो परिणाम चाहिए। नतीजा होता है ढेर सारा फ्रस्ट्रेशन और अंत में आप कम्प्यूटर स्ट्रैस सिन्ड्रोम के शिकार हो जाते हैं।
कैसे बचें कम्प्यूटर स्ट्रैस सिंड्रोम से?
कोई विशेष नियम कायदा या कानून नहीं है मगर आप कुछ विशेष बातों का पालन कर इससे बचने की कोशिश तो कर ही सकते हैं। किसी भी कम्प्यूटिंग समस्या को यूं समझें कि यह किसी चलते वाहन की ओवरहॉलिंग या तेल-पानी की आवश्यकता के लिहाज से जरा-सा व्यवधान है। बारम्बार आ रही समस्याओं के लिये वैकल्पिक उपाय या वैकल्पिक साधन जुटाएं। सही, भरोसेमंद उत्पादों का प्रयोग करें व जहां सपोर्ट व सहयोग अच्छा मिलता है, वह प्लेटफॉर्म अपनाएं। कम्पनियों को भी अपने उत्पाद व सेवाओं में उत्कृष्टता लानी होगी। उन्हें ऐसे उत्पाद बनाने होंगे, जो भरोसेमंद तो हो ही, नए संस्करण भी आराम से चलें, वे बैकवर्ड कम्पेटिबल तो हों ही, उन्हें चलाने में बहुत ज्यादा सीखने इत्यादि की आवश्यकताएं न हों। उदाहरणार्थ, विंडोज का पूर्व का नया संस्करण विंडोज विस्टा न सिर्फ अलग किस्म का था (जिसमें प्रयोग करने के लिए बहुत कुछ नये सिरे से सीखना है), साथ ही पुराने प्रोग्रामों व हार्डवेयरों को नहीं चलाता था, जिसके कारण कई प्रयोक्ताओं को कम्प्यूटर जनित स्ट्रैस का सामना करना पड़ा। इन बातों को ध्यान में रखकर विंडोज-7 संस्करण लाया गया, जो प्रयोक्ता फ्रैंडली तो है ही, पुराने प्रोग्रामों व हार्डवेयरों को भी बढ़िया तरीके से चलाता है। पूर्ववर्ती संस्करणों से ज्यादा स्थिर और सुरक्षित भी है, जिससे कम्प्यूटरों पर काम करने वालों को बहुत सी समस्याओं से निजात मिली है। जो भी हो, अगर आप दिन भर में अच्छे खासे समय तक कम्प्यूटर प्रयोग करते हैं तो अपने आप को कम्प्यूटर जनित स्ट्रैस से बचा तो नहीं सकते मगर इसे ‘सिन्ड्रोम’ बनने से रोक तो सकते ही हैं। बस, थोड़ा ध्यान रखें।
Ranchi Express

7 टिप्‍पणियां:

  1. सभी के लिए उपयोगी जानकारी...... आभार

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  2. बहुत बढ़िया जानकारी , शेयर करने के लिए राजेंद्र भाई धन्यवाद !
    I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

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  3. बहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने

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  4. बहुत ही उपयोगी जानकारी दिए हैं, धन्यबाद।

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